पाठकगण --वैसे ज्योतिष का फलादेश विशाल सागर की भांति है फिर भी कुछ उदहारण देना चाहता हूँ किस भाव से क्या -क्या जानकारी करनी चाहिए ----
----प्रथमभाव --सूर्य ,शरीर ,जाति ,विवेक ,शील ,आकृति ,मस्तिष्क ,सुख -दुःख ,आयु |
---द्वितीयभाव ----धन ,कुटुंब ,रत्न ,बंधन |
--तृतीय भाव ----पराक्रम ,सहोदर ,धैर्य |
---चतुर्थ भाव ---चन्द्र ,बुध ,माता ,सुख ,भूमि ,गृह ,सम्पत्ति ,छल ,उदारता ,दया ,चतुष्पद |
--पंचम भाव --गुरु ,विद्या ,बुद्धि ,संतान ,मामा |
--षष्ठ भाव ---शनि ,मंगल ,शत्रु ,रोग ,चिंता ,संदेह ,पीड़ा |
--सप्तम भाव -- भार्या ,प्रेम ,वैवाहिक जीवन |
--अष्टम भाव ---शनि ,मृत्यु ,आयु ,व्याधि ,संकट ,ऋण ,चिंता ,पुरातत्व |
--नवमभाव ---सूर्य ,गुरु ,भाग्य ,धर्म ,विद्या ,प्रवास ,तीर्थ -यात्रा ,दान |
---दशम भाव --- सूर्य ,बुध ,गुरु ,शनि ,राज्य ,पिता ,नौकरी ,व्यवसाय ,मान -प्रतिष्ठा |
---एकादश भाव --गुरु ,लाभ ,आय ,संपत्ति ,ऐश्वर्य , वाहन |
--द्वादश भाव --शनि ,व्यय ,हानि ,दंड ,रोग ,व्यसन | ---ये सब कुण्डली के भावों में स्थित समझें |
---ध्यान दें --अगले भाग में त्रिकोण ,केन्द्र ,पणकर,आपोक्लिम तथा मारक किन -किन भावों को कहा जाता है ? इसे लिखकर समझाने का प्रयास करेंगें | ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com

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