मुण्डन संस्कार क्यों होता है -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----सनातन संस्कृति में -मुण्डन संस्कार -छठा संस्कार है जो प्रत्येक जातक एवं जातिकाओं के होते हैं | यह मुण्डन संस्कार भी भेद भाव रहित होता है साथ ही चाहे बालक हो या बालिका सभी के -एक वर्ष ,तीन बर्ष या फिर पांच वर्षों के होने पर अवश्य होते हैं | मुण्डन अर्थात बालों का परित्याग करना होता है किन्तु -अपने -अपने कुलदेवताओं के आशीर्वाद के बिना नहीं होता है न ही करना चाहिए | ---क्यों होता है --का जबाब है -जैसे किसी खेत में बढियाँ अनाज का उत्पादन करना है तो भूमि को खोदे बिना संभव नहीं है | इसी प्रकार से सभी शिशुओं के मस्तक में समस्त चीजें विद्यमान रहती हैं बिना मुण्डन किये उन समस्त चीजों को निखारा नहीं जा सकता है | यह मस्तक वास्तव में जितना दिखने में सरल लगता है उतना सरल है नहीं इस मस्तक के बालों का जितना मुण्डन होता रहेगा यह मस्तक उतना ही कठोर होता जाता है साथ ही शरीर के समस्त अवयवों को सुरक्षित और संचार प्रवाह देता रहता है | अगर इन बालों का कम से कम दो बार मुण्डन न हो तो वह व्यक्ति केवल एक दिशा गामी ही रहता है | अतः सृष्टि पर जब से ज्ञान मिला लोगों को मुण्डन अवश्य कराते हैं | ब्राह्मणों को तो निरन्तर मुण्डन कराते रहना चाहिए क्योंकि संसार में ज्ञान दाता तो भूदेव ही होते हैं अगर कोई मुण्डन नहीं करता है तो अलौकिक चीजों की जानकारी नहीं मिल पाती है या फिर अपने मार्ग से भटक जाता है | कृपया ध्यान दें --जिनको ज्ञान की जरुरत है या जो अपना अस्तित्व को जानना चाहता है या जो परोपकारी होते हैं वो सदा मुण्डन अवश्य कराते हैं | ----आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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