ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
शनिवार, 29 जून 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -98 -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा के उत्तर भाग संख्या 98 में उन बातों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --जिसकी वजह से वास्तव में व्यक्ति किसी का नहीं हो पाता है | तनिक सा प्रयास स्थिरता अवश्य प्रदान करता है | --मेरी प्रथम मातृभाषा -माँ और मातृभूमि से दूरी केवल 10 वर्ष का था तभी हो गयी | जब हम 20 वर्ष के हुए तो दूसरा परिवार विवाह से जुड़ा | यह मेरा दूसरा परिवार भी आगे चलकर बहुत विशाल हुआ --जिसमें दो बेटियां और एक बालक हुए | जैसे रोजगार की तलाश में लोग देश -विदेश जाते हैं सिर्फ धन के लिए --किन्तु मातृभूमि और परिवार का स्नेह निरन्तर व्यक्ति को अपनी ओर खींचता रहता है | ऐसे ही मुझे विवाह होने के बाद भले ही पतनी और बच्चों के हो गए --येन -केन प्रकारेण -अपने बच्चों को शिक्षा कैसे बढियाँ मिले ,उत्तम वर कैसे मिले ,उत्तम घर कैसे बेटियों को मिले ,ये बच्चे कैसे सुखी रहें ,इन्हें कोई कभी तकलीफ न हो -इसके लिए अपना सुख परित्याग कर निरन्तर योजनाओं में लगे रहे | यद्यपि मेरे माता पिता का परिवार बहुत ही कष्टप्रद रहा --इसकी अपेक्षा मेरे बच्चों को पूर्ण सुख मिला | शहर में भी घर मिला ,मातृभूमि पर भी घर मिला | मैं पढता भी था और अपने माता पिता का भरण -पोषण कैसे हो इसके लिए भी सतत प्रयास करता रहा | --जब मेरा परिवार हुआ तो माता पिता का भी ख्याल रखता था | अपने बच्चों के सुख के लिए अपने सुख का बलिदान भी कर दिए | बच्चों के लिए हर प्रकार की व्यवस्था करने में कभी मन में कोई तकलीफ नहीं हुई | मैं खुद पैदल चलता हूँ पर मेरे बच्चे कभी पैदल न चलें --यह सोच सदा रही | बेटी के सुख के लिए एक झटके में कई लाख लगा दिए --हँसते -हँसते --मेरी बेटी सुखी रहे | बालक की शिक्षा में जितना लगे -मंजूर है | --पर इतना होते हुए भी मैं सुखी नहीं हो सका | पतनी बच्चों के साथ रहते हुए भी -माता पिता और सगे -सम्बन्धियों की यादें निरन्तर मुझे दुःखी करती रहती हैं | --जिस अग्नि को साक्षी मानकर पतनी को लेकर आया था -आजतक उसका दिल से नहीं हो सका ---उस दिल में पहला माता पिता का परिवार बैठा रहता है और मैं चाहकर भी एक शास्त्री होकर भी बाहर नहीं निकल पाता हूँ | भार्या कईबार उलाहना देती रहती है -- कुछ दिन माँ के पास ही क्यों नहीं रहते हो ---जिस प्रकार व्यक्ति रोजगार की तलाश में बाहर आ जाता है -- वो व्यक्ति धन तो कमाता है ,उसकी यादें तो सताती रहती हैं किन्तु --धन एक ऐसी व्यक्ति की जरुरत है --जिसके आगे व्यक्ति --अजीवाल या तो मृत्यु की तलाश करता है ताकि छुटकारा मिले या फिर केवल धन चाहिए | --धन न जानें कितने सम्बन्धों को जोड़ता है --तोड़ता है --पर क्षणिक देर के लिए जोड़ता है -तोड़ता है --वास्तव में किसी का होने नहीं देता है | हमने अपने जीवन में यही अनुभव किया है | धन की वजह से न तो माता पिता और परिजन का हुआ ,न ही धन की वजह से अपनी पतनी और बच्चों का हो सका --अगर होता --तो --?पतनी कईबार बोली -वृन्दावन घुमा दो ,हरिद्वार घुमा दो ? --हमने कईबार कहा -बड़ी बेटी की शादी हो जाने दो ,फिर बोला --छोटी बेटी की शादी हो जाने दो ,फिर बोला --बालक को कामयाब होने दो --न जाने बोलते -बोलते थक गया पर घुमा न सका | माता पिता कई बार बोले -ये कर दो -वो कर दो --केवल कहता ही रहा --ये करूँगा --वो करूँगा --करना तो दूर --वैवाहिक जीवन में जाने के बाद --और दूरी बनाली --अतः मुझे लगा है ---जीवन में धन के आगे सभी नतमस्तक होते हैं --चाहे -शास्त्री हो या ज्योतिषी ,चाहे -ज्ञानी हो या अज्ञानी -- आगे की चर्चा अगले भाग में करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
शनिवार, 15 जून 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -97 -ज्योतिषी झा मेरठ
व्यक्ति के जीवन में कई पड़ाव आते हैं | वहां पहुँचने से पहले आशा होती है आगे ऐसा करेंगें ,वैसा करेंगें --जो नहीं कर सके उसे पाने की कोशिश करेंगें --पर ये बातें स्वप्न जैसी होतीं हैं ---खासकर हमने यही अहसास किया है | मेरा पहला परिवार बाल्यकाल में माता पिता ,तीन भाई और एक बहिन से जुड़ा था | राजयोग से दरिद्र योग केवल जब हम 10 वर्ष के हुए तभी प्राप्त हुआ -पर सहमति एक थी | भले ही अनन्त दुःख थे किन्तु प्रेम अनमोल था | माता पिता का अनुपम स्नेह था ,दीदी की ममतामयि दया की छत्र छाया में निरंतर रहता था | अनुजों के संग बाहुबली था | छत नहीं थी पर हम खुश थे ,वस्त्र नहीं थे फिर भी खुश थे ,पेट में दाना नहीं थे पर स्वर्ग में थे | सबसे पहले दीदी की शादी हुई -मेरी टोली में से एक सदस्य कम हो गया | फिर गरीबी थी पिता एक आश्रम में दे आये -उस टोली से दूसरा सदस्य गायब हो गया | एक अनुज को सर्प दंश के कारण मृत्यु हो गयी --एक और सदस्य कम हो गया | एक और अनुज रोजी -रोटी की तलाश में में मेरठ आ गया --उस टोली -परिवार में दो सदस्य बचे -माता पिता जिनपर कोई वजन नहीं था | जब वजन कम हो तो व्यक्ति की तरक्की होती है --पर विवेक नहीं हो तो एक क्षेत्र मजबूत होता है तो दूसरा क्षेत्र कमजोर स्वतः ही होने वाला होता है --इससे बचने के लिए ईस्वर की कृपा और विवेक का सदुपयोग करना चाहिए | आज के समय में किसी भी व्यक्ति को पहले धन चाहिए -हर व्यक्ति धन के क्षेत्र में आज मजबूत तो होता है पर बहुत कुछ खो देता है --जिसकी वो परवाह नहीं करता | मेरे माता पिता धनवान तो हुए -पर विवेक का प्रयोग नहीं करके राजनीति -छल -कपट का सहारा लिए --जिसकी वजह से धन ही विवाद का कारण बना | धन की वजह से बड़े पुत्र को खो दिया ,फिर अनुज को भी खो दिये | एक दिन धन माँ के हाथों में चला गया -अन्न -दवाई के बिना प्राण चले गए -कोई साथ नहीं दिया | माँ का धन अनुज ने समेट लिया --शून्य बनाकर दर -दर भटकने के लिए छोड़ दिया | जिन परिजनों ने यह अविवेक बनने की सलाह दी और जिनको सत्य मानकर अमल किया --वही मृत्यु का पाश बन गया | ऐसी स्थिति में महा भारत अपने सामने घर में ही शुरू हो जाता है | --क्योंकि जो मेरा पहला परिवार माता पिता भाई -बहिन थे --उससे हम सभी आगे बढ़ चुके थे --हमारा परिवार -पतनी ,और बच्चे थे -बाद में माता पिता या परिजन थे | ऐसे ही अनुज के बच्चे पहले थे ,ऐसे ही दीदी के बच्चे पहले अपने थे --कभी माता पिता हमारे थे अब हम खुद माता पिता हो चुके थे | -मेरे माता पिता ईस्वर की आराधना तो बहुत करते थे --पर अज्ञानी थे सलाहकार भी अज्ञानी थे इसलिए समय के साथ चलना नहीं सिख पाये | -केवल मैं यहाँ यही कहना चाहता हूँ --अगर जीवन में सुखी होना चाहते हैं --तो ईस्वर की आराधना अवश्य करें पर अविवेकी कदापि न बनें ,वही निर्णय लें जो शास्त्र कहते हैं ,जो आपका विवेक मन कहता है --जिसमें भले ही दुःख हो पर सत्य पर आधारित हो --तभी एक परिवार से निकलकर दूसरे परिवार का सुख लिया जा सकता है --अन्यथा धन तो होगा एकता नहीं होगी ,संगठन नहीं होगा ,सुखद अनुभूति नहीं होगी | आगे की चर्चा अगले भाग में करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
मंगलवार, 11 जून 2024
जन्म -कुण्डली के द्वादश भाव -ज्योतिष कक्षा -पाठ -53-पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
जन्म -कुण्डली में 12 खाने होते हैं | इन्हें घर ,स्थान अथवा भाव कहा जाता है | ---
जन्म -कुण्डली के 12 भावों के नाम इस प्रकार हैं ---1 --तनु ,--2 --धन ,--3 सहज ,--4 -सुहृद ,--5 --पुत्र ,-6 --रिपु ,---7 -स्त्री ,--8 --आयु ,--9 --धर्म ,---10 --कर्म ,--11 --लाभ ,---12 --व्यय | ---इन भावों के द्वारा किन -किन बातों का विचार किया जाता है ,इसे इस प्रकार से समझना चाहिए |
--1 --तनु ---इसे प्रथम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्वरूप ,जाति ,आयु ,विवेक ,शील ,मस्तिष्क ,चिन्ह ,दुःख -सुख तथा आकृति आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है | इस भाव का कारक सूर्य है | इसमें मिथुन ,कन्या ,तुला तथा कुम्भ आदि कोई राशि हो ,तो उसे बलवान माना जाता है | लग्नेश की स्थिति और बलाबल के अनुसार इस भाव से उन्नति -अवनति तथा कार्य -कुशलता का ज्ञान प्राप्त किया जाता है |
--2 --धन --इसे फणकर तथा द्वितीय भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा स्वर ,सौंदर्य ,आँख ,नाक ,कान ,गायन ,प्रेम ,कुल ,मित्र ,सत्यवादिता ,सुखोपभोग ,बंधन ,क्रय -विक्रय ,स्वर्ण ,चांदी ,मणि ,रत्न आदि संचित पूंजी के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---3 --सहज --इसे आपोक्लिम तथा तृतीय भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक मंगल है | इसके द्वारा पराक्रम ,कर्म ,साहस ,धैर्य ,शौर्य ,आयुष्य ,सहोदर ,नौकर -चाकर ,गायन ,क्षय ,श्वास ,कास ,दमा ,तथा योगाभ्यास आदि का विचार किया जाता है |
--4 --सुहृद --इसे केन्द्र तथा चतुर्थ भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा सुख ,गृह ,ग्राम ,मकान ,संपत्ति ,बाग -बगीचा ,चतुष्पद ,माता -पिता का सुख ,अन्तः करण की स्थिति ,दया ,उदारता ,छल ,कपट ,निधि ,यकृत तथा पेटादि रोगों के संबंध में विचार किया जाता है | इस भाव का कारक चन्द्र है | इस स्थान को विशेषकर माता का स्थान माना जाता है |
---5 --पुत्र --इसे पणकर ,त्रिकोण तथा पंचम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा बुद्धि ,विद्या ,विनय ,नीति ,देवभक्ति ,संतान ,प्रबन्ध -व्यवस्था ,मामा का सुख ,धन मिलने के उपाय ,अनायास बहुत धन की प्राप्ति ,नौकरी से विच्छेदन ,हाथ का यश ,मूत्र -पिंड ,वस्ति एवं गर्भाशय आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---6 --रिपु --इसे आपोक्लिम तथा षष्ठ भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक मंगल है | इस भाव के द्वारा शत्रु ,चिंता ,संदेह ,जागीर ,मामा की स्थिति ,यश ,गुदा -स्थान ,पीड़ा ,रोग तथा व्रणादि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---7 ---स्त्री --जाया ---इसे केन्द्र तथा सप्तम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्त्री ,मृत्य ,कामेच्छा ,कामचिंता ,सहवास ,विवाह ,स्वास्थ ,जननेन्द्रिय ,अंग -विभाग ,व्यवसाय ,झगड़ा -झंझट ,तथा बबासीर आदि रोग के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---8 --आयु --इसे पणकर तथा अष्टम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा आयु ,जीवन ,मृत्यु के कारण ,व्याधि ,मानसिक चिंताएं ,झूठ ,पुरातत्व ,समुद्र -यात्रा ,संकट ,लिंग ,योनि तथा अंडकोष के रोग आदि का विचार किया जाता है |
--9 --धर्म --इसे त्रिकोण तथा नवम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा तप ,शील ,धर्म ,विद्या ,प्रवास ,तीर्थ यात्रा ,दान ,मानसिक -वृत्ति ,भग्योदय तथा पिता का सुख आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---10 --कर्म --इसे केन्द्र तथा दशम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक बुध है | इसके द्वारा अधिकार ,ऐश्वर्य -भोग ,यश -प्राप्ति ,नेतृत्व ,प्रभुता ,मान -प्रतिष्ठा राज्य ,नौकरी ,व्यवसाय तथा पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--11 --लाभ --इसे उपचय ,पणकर तथा एकादश भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा सम्पत्ति ,ऐस्वर्य ,मांगलिक कार्य ,वाहन ,रत्न आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--12 --व्यय --इसे द्वादश भाव कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा दंड ,व्यय ,हानि ,व्यसन ,रोग ,दान तथा बाहरी सम्बन्ध आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---इन द्वादश भावों के फलादेश जानने के बाद --किसी भी कुण्डली का सही आकलन करने में मदद मिलेगी | ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
शनिवार, 1 जून 2024
ग्रहों के पारस्परिक संबंध-ज्योतिष कक्षा पाठ -52 - पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
पाठकों को ग्रहों के आपसी -सम्बन्ध के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए | जन्म कुण्डली का फल लिखने ,बताने अथवा जानने के लिए इस जानकारी का बहुत अधिक महत्व है | कौन -सा ग्रह किस दूसरे ग्रह का मित्र ,शत्रु अथवा सम -न मित्र न शत्रु -है --इसे निम्न रूप में समझना चाहिए |
--1 --सूर्य के चंद्र ,मंगल तथा गुरु मित्र हैं ,शुक्र तथा शनि शत्रु हैं एवं बुध सम है |
--2 ---चंद्र के सूर्य तथा बुध मित्र हैं | मंगल ,शुक्र ,शनि तथा गुरु सम हैं |
--3 --मंगल के सूर्य ,चंद्र और गुरु मित्र हैं ,बुध शत्रु है तथा शुक्र और शनि सम है |
---4 --बुध के सूर्य तथा शुक्र मित्र हैं | चंद्र शत्रु है और मंगल ,गुरु तथा शनि सम है |
--5 --गुरु के सूर्य ,चंद्र और मंगल मित्र हैं ,शुक्र व बुध शत्रु हैं तथा शनि सम है |
--6 -शुक्र के बुध और शनि मित्र हैं ,सूर्य और चंद्र शत्रु हैं तथा मंगल और गुरु सम हैं |
--7 --शनि के बुध और शुक्र मित्र हैं ,सूर्य ,चंद्र और मंगल शत्रु हैं तथा गुरु सम है |
---कुछ ज्योतिष शास्त्री चंद्र गुरु से शत्रुता मानते हैं | राहु तथा केतु छाया ग्रह हैं | अतः ग्रहों के नैसर्गिक मैत्री चक्र में इन दोनों का उल्लेख नहीं किया गया है | विद्वानों के मतानुसार राहु और केतु --ये दोनों ग्रह शुक्र तथा शनि से मित्रता रखते हैं एवं सूर्य ,चंद्र ,मंगल तथा गुरु --इन चारों ग्रह से शत्रुता रखते हैं | बुध इन दोनों राहु +केतु के लिए सम हैं | इसी प्रकार सूर्य ,चंद्र ,मंगल तथा गुरु --ये चारों ग्रह राहु तथा केतु से शत्रुता मानते हैं | शुक्र और शनि ,राहु तथा केतु के मित्र हैं तथा बुध इन दोनों से सम भाव रखता है | उदाहरण से समझें
--1 -----------------जो ग्रह जिससे द्वितीय ,तृतीय ,चतुर्थ ,दशम ,एकादश और द्वादश में होता है वो उसका तात्कालिक मित्र होता है |
----2 ------जो दोनों ग्रह एक ही राशि में बैठे होते हैं ,वो परस्पर तात्कालिक शत्रु होते हैं |
---3 ----जो ग्रह परस्पर पंचम -नवम ,षष्ठ -अष्टम या प्रथम -द्वितीय से सप्तम बैठे हों तो वो तात्कालिक शत्रु होते हैं |
--ज्योतिष की परिपाटी यही है | ---अगले भाग में जन्म -कुण्डली के द्वादश भाव पर विवेचन करेंगें |
-भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
-
ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
-
ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
-
ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
-
ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
-
ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
-
ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
-
ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
-
ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
-
ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
-
ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...



