ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 27 मई 2024

ज्योतिष की कुछ विशेष बातें पढ़ें -ज्योतिष कक्षा -पाठ -51 -खगोलशास्त्री झा मेरठ


पुरुष और स्त्री राशि तथा ग्रह --

-मेष ,मिथुन ,सिंह ,तुला ,धनु और कुम्भ पुरुष राशि है | --वृष ,कर्क ,वृष्चिक ,मकर ,कन्या और मीन ये स्त्री राशि हैं | चन्द्र और शनि स्त्री ग्रह हैं | बुध नपुंसक है | शनि -स्त्री नपुंसक है | 

--दिशाओं के स्वामी -----

---सूर्य पूर्व का ,शुक्र पूर्व -दक्षिण का ,मंगल दक्षिण का , राहु दक्षिण -पश्चिम कोण का ,शनि पश्चिम का ,चंद्र पश्चिमोत्तर कोण का ,बुध उत्तर का ,गुरु पूर्वोत्तर दिशा का स्वामी है | किस ग्रह से कौन -सी दिशा में भाग्योदय होगा ,या चोरी गई है ,या पथिक गया है आदि जातक विचार तथा प्रश्न में इस ज्ञान का प्रयोजन होता है | 

-----मेष ,सिंह ,धनु की पूर्व दिशा है ,वृष ,कन्या ,मकर की दक्षिण ,मिथुन ,तुला ,कुम्भ की पश्चिम तथा कर्क ,वृश्चिक ,मीन की उत्तर दिशा है | 

----तत्व ,रंग और वर्ण तथा ऋतु एवं स्वाद ----

--1 ---सूर्य और मंगल का अग्नितत्व ,चन्द्र और शुक्र का जलतत्व ,बुध का पृथ्वी तत्व ,गुरु का आकाश तत्व तथा शनि का वायु तत्व है | मेष ,सिंह ,धनु ,अग्नितत्व की राशि है | वृष ,कन्या ,मकर पृथ्वी तत्व की राशि है ,मिथुन ,तुला ,कुम्भ वायु तत्व की राशि मानी जाती है | 

---2 --सूर्य का ताम्र वर्ण ,चंद्र का श्वेत वर्ण ,मंगल का लाल ,बुध का हरा ,गुरु का पीला ,शुक्र का विविध रंग ,शनि का काला है | राहु का भी काला रंग होता है ,जबकि केतु का धब्बेदार माना जाता है | 

----3 --गुरु व शुक्र ब्राह्मण वर्ण ,सूर्य व मंगल क्षत्रिय वर्ण ,चंद्र वैश्य वर्ण ,शनि संकर जातियों का तथा बुध वैश्य है | अनेक ज्योतिषियों के अनुसार चंद्र ब्राहण और बुध वैश्य है | 

---4 --सूर्य और मंगल की ग्रीष्म ऋतु ,चन्द्रमा की वर्षा ,बुध की शरद ,हुरु की हेमन्त ,शुक्र की बसंत और शनि की शिशिर ऋतु है | 

----5 ---सूर्य कटु {कड़वे रस }का ,चंद्र नमकीन स्वाद का ,मंगल तिक्त का ,बुध मिश्रित -कई मिले -जुले स्वादों का --रस का ,गुरु मधुर मीठे रस का ,शुक्र खट्टे रस का ,शनि कषाय कसैले रस का स्वामी है | ----नोट अगले भाग में ग्रहों के पारस्परिक सम्बन्ध पर चर्चा करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com


शुक्रवार, 24 मई 2024

ग्रहों का राशि -भोगकाल पढ़ें -ज्योतिष कक्षा -पाठ -50 -खगोलशास्त्री झा मेरठ


कौन -सा ग्रह किस राशि पर कितने काल /समय अथवा अवधि तक ठहरता है | इसे निम्न तालिका के अनुसार समझ लेना चाहिए ---

--1 --सूर्य --एक राशि पर एक मास 

--2 --चन्द्र -एक राशि पर सवा दो दिन 

--3 --मंगल --एक राशि पर डेढ़ मास 

--4 --बुध --एक राशि पर पौन मास 

--5 --बृहस्पति ---एक राशि पर तेरह मास 

--6 --शुक्र --एक राशि पर पौन मास 

--7 --शनि एक राशि पर ढाई वर्ष 

--8 --राहु --रक राशि पर डेढ़ वर्ष 

--9 --केतु ---एक राशि पर डेढ़ वर्ष 

------सूर्य ,चन्द्र ,राहु तथा केतु के अलावा शेष पांचों ग्रह -1 -मंगल ,-2 -बुध ,--3 --गुरु ,4 --शुक्र ,--5 -शनि --ये कभी -कभी वक्री ,मार्गी अथवा अतिचारी हो जाया करते हैं ,जिसके कारण ये ग्रह -1 राशि पर अपनी निश्चित अवधि के समय को एक साथ लगातार भोगने के अलावा कुछ आगे -पीछे भी भोगा करते हैं | किस समय कौन -सा ग्रह मार्गी ,वक्री अथवा अतिचारी है --इसका पता पंचांग -पतरा -को देखकर चल सकता है | यदि किसी जातक के जन्म समय कोई ग्रह वक्री ,मार्गी अथवा अतिचारी होता है --तो उसे जीवन भर उसी प्रकार फल देता है | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com


सोमवार, 20 मई 2024

राशियों के स्वामी और ग्रह पढ़ें -ज्योतिष कक्षा पाठ -49 -खगोलशास्त्री झा मेरठ


प्रत्येक ग्रह किसी न किसी राशि का स्वामी होता है | कौन -सा ग्रह किस राशि का स्वामी है --इसे नीचे लिखे अनुसार समझना चाहिए --

--1 --मेष + वृश्चिक का स्वामी मंगल है | 

--2 --वृष +तुला  का स्वामी शुक्र है | 

--3 --मिथुन +कन्या का स्वामी बुध है | 

--4 --कर्क का स्वामी चन्द्रमा है | 

--5 --सिंह का स्वामी -सूर्य है | 

--6 --धनु +मीन का स्वामी -गुरु बृहस्पति है | 

--7 --मकर +कुम्भ का स्वामी शनि है | 

---नोट --राहु और केतु ,ये दोनों छाया ग्रह हैं ,इसलिए ये किसी पृथक राशि के स्वामी नहीं हैं फिर भी कुछ ज्योतिषाचार्य राहु को कन्या का स्वामी तथा केतु को मिथुन का स्वामी मानते हैं | निम्न तालिका में हमने राशि और स्वामियों को दर्शाया है | 

अंक ---------राशि ---------अंग्रेजी नाम ----------स्वामी ------------अंग्रेजी नाम 

1 ---------------मेष ------------एरिस --------------मंगल ------------------मार्स 

--2 ------------- वृष ------------तौरूस -------------शुक्र -----------------वीनस 

---3 -----------मिथुन ------------जैमिनी -------------बुध -----------------मर्करी 

--4 ---------------कर्क ------------कैंसर -------------चन्द --------------------मून 

--5 -----------सिंह -----------------लिओ --------------सूर्य -------------------सन 

--6 ------------कन्या ----------------विरगो -------------बुध ----------------मर्करी 

--7 ------------तुला ------------------लिब्रा ---------------शुक्र ---------------वीनस 

--8 -----------वृष्चिक --------------स्कॉर्पियो -------------मंगल ----------------मार्स 

--9 -------------धनु ---------------सैगिटेरियस -------------गुरु ---------------जुपिटर 

--10 ---------मकर ---------------कैपरीकॉर्न -------------शनि -----------------सैटर्न 

--11 ----------कुम्भ ---------------अकवेरिअस ------- ---शनि ------------------सैटर्न 

--12 ----------मीन -------------------पीसेस ---------------गुरु ------------------जुपिटर 

---भारतीय शैली पर बनी जन्मपत्रिकाओं में अनेकों ज्योतिषियों द्वारा मंगल को कुज ,भौम अथवा मंगल की संज्ञा दी जाती है | इसी प्रकार सूर्य को रवि और गुरु को बृहस्पति भी लिखा जाता है | ----अगले भाग में ग्रहों का राशि -भोगकाल की चर्चा करेंगें | ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com



गुरुवार, 9 मई 2024

मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -96 -ज्योतिषी झा मेरठ


 ॐ हमने अपने जीवन में जो अनुभव किया है अब उन तमाम बातों पर क्रम से प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें | 

ज्योतिष का वास्तविक अर्थ नेत्र होता है --व्यक्ति धर्म -अधर्म को अपनी आँखों से सदा देखता -रहता है -स्थूल शरीर और मोह -माया का पाश इतना भयंकर होता है - जो सच पथ पर चलने नहीं देता है | निरन्तर भूल पर भूल करता रहता है --यद्यपि -सभी को ज्ञान का पाठ तो पढ़ाता है पर खुद छुपके से निरन्तर अन्धकार में जीता रहता है | --अस्तु -----अब हम 55 वर्ष के होने वाले हैं | कभी पुत्र था-- तो माता पिता और परिजनों के साथ चलने की तमन्ना रखता था | इस पथ पर चलता रहा -कभी माँ को कष्ट न मिले ,कभी पिता को कष्ट न मिले ,कभी -भाई -बहिन को कष्ट न मिले यही सोचता रहा | मेरे शरीर के हर अंग समर्पित रहते थे - चार भाई + -बहिन और माता पिता ही हमारा साम्राज्य था | घर में रोटी नहीं थी ,वस्त्र नहीं थे ,घर नहीं था ,कुछ जमीन नदी में समा गयी ,कुछ जमीन बेची गई दीदी की शादी के लिए ,कुछ जमीन गिरबी रखी गयी गौना के लिए ,माँ और दीदी खुद नहीं खातीं थीं पर पहला टुकड़ा मुझे मिलता था -मैं उस टुकड़े को अपने अनुज को देना पसन्द करता था | उस समय मेरा एक ही सपना होता था -मेरा परिवार कैसे अन्न -वस्त्र से सम्पन्न हो -मेरे घर में कोई बीमार होता था तो सिर्फ परमात्मा की दुआ या कृपा का ही सहारा होता था | --इतना गरीब मेरा परिवार जन्मजात नहीं था --मेरा जन्म राजयोग में हुआ था पर इसकी अवधि केवल 10 वर्ष थी | इन दस वर्षों में -पिताजी ने जमीन खरीदी ,बढ़िया दुकान चलती थी ,उपज उत्तम थी ,मामा मेरे यहाँ ही रहते थे | हम दोनों भाई पब्लिक स्कुल में पढ़ते थे --उस समय ऐसे स्कूलों का महत्व था | हमारा रहन -सहन उत्तम था | --पर ग्रहों के खेल निराले होते हैं ---मैं किसी के सहारे जीना नहीं चाहता था --अतः श्री महर्षि महेश योगी की संस्था में बिना पूछे माता पिता को चले गये पढ़ने --पातेपुर जिला वैशाली -बिहार -1981 में | -1982 में दीदी की शादी जमीन बेचकर हुई -मैं पातेपुर में था | इसके बाद मानों -रसातल जाने का योग शुरू हुआ --पातेपुर से 1982 में दीदी की शादी के बाद आया -वहां की शिक्षा छूट गयी | जमीन बिक गयी ,चोर दीदी के जेवर के साथ घर से सबकुछ ले गए | भोजन हेतु थाली भी नहीं बची | पिताजी नौकरी हेतु कलकत्ता गए --नाकाम होकर वापस आ गए | मुझे एक आश्रम में छोड़ आये --कभी सूद -बुध मेरी नहीं ली | अब मेरे माता पिता और परिजन मेरे आश्रम के लोग ही रहे | यहाँ जो मेरे साथ हुआ --उसका बखान क्या करूँ --अन्न -वस्त्र के लिए तड़प -तड़प कर मरते रहे | मुझसे शारीरिक इतना परिश्रम कराया गया --पहले भिक्षा मांगने की शिक्षा दी गयी ,फिर -50 लोगों का दोनों समय भोजन बनाना अनिवार्य था | इसके बाद गायों को चराना काम मिला -चप्पल नहीं होने के कारण -तलवों में गढ़े बड़े -बड़े थे --न औषधि न सहानुभूति थी | मैं परिजनों से दूर होकर नित्य मृत्यु को ढूंढा करता था --पर मृत्यु मिली नहीं |  एक दिन ऐसा हुआ --मेरा अनुज सर्प दंश से दिवंगत हो गया ---गरीबी इतनी थी --कफन की जगह --एक चचेरे भाई ने अपनी लुंगी-तहमत  खोलकर -उस शरीर को ढक दिया | -कर्ज लेकर अपने अनुज की आत्मा की शान्ति हेतु सभी संस्कार पूरे  किये | --आगे की चर्चा अगले भाग में करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com


खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...