ज्योतिष के नवीन पाठकों को यह शंका हो सकती है कि जब इस विराट आकाश में असंख्य तारागण हैं ,तो फिर भारतीय ज्योतिष ने अपने गणित और फलित आदि में 27 नक्षत्र और 9 ग्रहों को ही प्रधानता क्यों दी ? ---उनकी इस शंका का समाधान यह है कि आकाश में प्रायः गोल "कुछ लम्बोतरा -सा " मार्ग है | इस मार्ग पृथ्वी 1 ,100 मील प्रति घण्टे की गति से निरन्तर चक्कर लगाया करती है | आकाश में कोई सड़क -मार्ग तो है नहीं , न ही वहां मील के कोई मापक पथ्थर ही लगे हैं ,तब यह कैसे पता चले कि पृथ्वी कितना चल चुकी है और अब कहाँ है ? ---इस समस्या को हल करने के लिए जिस मार्ग पर पृथ्वी घूमती है ,---उस पर या उसके आसपास स्थित नक्षत्रों में से 27 नक्षत्रों को चुन लिया गया है | ये स्थिर नक्षत्र हैं | ग्रह तो घूमते रहते हैं किन्तु नक्षत्र अपने स्थान पर स्थित रहते हैं |
-----इन नक्षत्रों से वो ही काम लिया जाता है --जो दूरी जानने के लिए मील के पत्थरों से लिया जाता है | इस प्रकार पृथ्वी के गोलाकार मार्ग को 27 नक्षत्रों में बाँटने की व्यवस्था इसलिए की गई है ---जिससे कि आकाश निश्चित स्थान का निर्देश किया जा सके | एक विशेष बात यह भी है कि आकाश -मण्डल में असंख्य ताराओं के समूहों द्वारा जो विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनती है ,उन्हीं आकृतियों ,अर्थात ताराओं के समूह को नक्षत्र कहा जाता है ,तथा प्रत्येक नक्षत्र का एकेक नाम रख दिया गया है |
--1 --अश्विनी ,--2 -भरणी ,---3 --कृतिका ,--4 --रोहिणी ,---5 ---मृगशिरा ,---6 ---आर्द्रा ,---7 ---पुनर्वसु ,--8 ---पुष्य ,-----9 आश्लेषा ,---10 ---मघा ,--11 ---पूर्वाफाल्गुनी ,----12 --उत्तराफाल्गुनी ,---13 ---हस्त ,--14 --चित्रा ,---15 स्वाति ,--16 --विशाखा ,---17 --अनुराधा ,---18 ---ज्येष्ठा ,---19 --मूल ,---20 ---पूर्वाषाढ़ा ,---21 ---उत्तराषाढ़ा ,--22 --श्रवण ,--23 --धनिष्ठा ,---24 --शतभिषा ,---25 --पूर्वाभाद्रपद ,---26 ---उत्तराभाद्रपद ,--27 ---रेवती |
----किसी समय वैदिक काल में उत्तराषाढ़ा और श्रवण के बीच में अभिजीत नामक नक्षत्र की गणना और की जाती थी | किन्तु अब 27 नक्षत्रों के अतिरिक्त 28 वां नक्षत्र अभिजीत भी माना जाता है | उत्तराषाढ़ा की अन्तिम 18 घटि तथा श्रवण के प्रारम्भ की 4 घटि ,-----इस प्रकार कुल 19 घटियों के मान वाला नक्षत्र अभिजीत है | सामान्यतः 1 नक्षत्र की 60 घटि होती है | -----अगले भाग में नक्षत्रों के स्वमियों की चर्चा करेंगें | - -- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com

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